न्यूज डेस्क। रायगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा शुरू की गई मोर मकान मोर आस योजना खटाई में पड़ गई है। योजना के तहत 1 हजार मकानों का आवंटन किया जाना था, लेकिन जानकर हैरत होगी की तीन सालों में नगर निगम 200 आवासों का भी आवंटन नहीं कर पाया। योजना के तहत बने आवास पड़े-पड़े खंडहर हो रहे हैं, इधर भाजपा शहर सरकार पर योजना का नाम बदलने और आवासों की कीमत बढ़ाने का आरोप लगा रही है। भाजपा का कहना है कि अगर मकानों की कीमतें नहीं बढ़ाई गई होती तो योजना का लाभ हितग्राहियों को जरूर मिलता।
दरअसल नगर निगम क्षेत्र में भाजपा सरकार के कार्यकाल में ईडब्ल्यूएस जमीनों पर आवास बनाए गए थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इन आवासों को मोर मकान मोर आस योजना में तब्दील कर दिया गया। योजना की राशि भी 80000 से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई। मकान को अन हितग्राहियों को आवंटित करने का निर्णय लिया गया जो किराए के मकान में रहते हैं और जिनके पास खुद का मकान नहीं है। नगर निगम ने योजना का जमकर प्रचार प्रसार किया और लोगों से आवेदन भी मंगाए गए। लेकिन सिर्फ 25 फ़ीसदी हितग्राहियों ने ही योजना में दिलचस्पी दिखाई। नतीजन 3 सालों में नगर निगम सिर्फ 200 आवासों का आवंटन कर पाया। ऐसे में योजना को लेकर भाजपा सवाल उठा रही है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस कार्यकाल में पीएम आवास योजना की राशि 5 गुना बढ़ा दी गई। जिन आवासों की कीमत 80000 थी उसे तीन से साढ़े तीन लाख रुपए में बेचा गया। इसी वजह से गरीब जरूरतमंद परिवार के लोगों ने योजना में दिलचस्पी नहीं दिखाई। शहर सरकार अगर राशि कम करती तो वास्तविक परिवारों को योजना का लाभ मिल पाता, लेकिन शहर सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है। इधर मामले में नगर निगम की अपनी ही दलील है मामले में मेयर जानकी काटजू का कहना है कि नगर निगम मकानों के आवंटन के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। हर महीने लॉटरी के माध्यम से पात्र हितग्राहियों को मकान आवंटित किए जा रहे हैं। मेयर का कहना है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है ऐसे में अगर भाजपा को लगता है कि आवासों की राशि अधिक है तो राशि कम करने के लिए उन्हें प्रयास करना चाहिए। जनहित के विषयों में वह हमेशा उनके साथ हैं।